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समूह की महिलाओं को मिलने वाले लाभ पर एक नजर!



महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कराये गये कार्यो से महिला समूह सीधे लाभान्वित हो रहीं है।  सब्जी उत्पादन के कार्य में 5 समूह द्वारा निरंतर कार्य करते हुए लाखो रूपए की आमदनी अर्जित की गई है। जय मां दूर्गा स्व सहायता समूह द्वारा गत् वर्ष 2835 किलो गा्रम भिन्डी उत्पादन किया गया जिसमें 9800 रूपए लागत राशि आई, लागत राशि को छोड़कर 40,200 रूपए की शुद्ध आय समूह को हुआ। इस समूह में दो महिलाएं सक्रीय रूप से जुड़ी हुई थी जिन्हें 20,100 रूपए का शुद्ध व्यक्तिगत लाभ प्राप्त हुआ। भारत माता स्व सहायता समूह द्वारा 3988 किलो ग्राम करेले का उत्पादन किया गया। जिसकी कुल लागत 24,500 रूपए रहीं, 65,735 रूपये विक्रय हुए करेले से 41,238 रूपए का लाभ समूह के 4 सदस्यों को हुआ। इस तरह प्रत्येक सदस्यों को 10,309 रूपए की आमदनी हुई। कूमकूम भाग्य स्व सहायता समूह के द्वारा बरबटटी उत्पादन का कार्य किया गया 1623 किलो गा्रम उत्पादित बरबटटी में लगभग 10,000 रूपए की लागत आई, बरबटटी विक्रय कर समूह को 45,320 रूपए प्राप्त हुआ जिसमें उत्पादन राषि को छोड़कर समूह की महिलाओं को 35,320 रूपए की आमदनी हुई। 4 सदस्यी महिला समूह को प्रत्येक के हिस्से में 8,830 रूपए की आमदनी आई। साई राम स्व सहायता समूह के द्वारा 12,000 रूपए की लागत लगाकर 2354 किलो ग्राम तोरई सब्जी का उत्पादन किया गया। तोरई को बेच कर 29,820 रूपए समूह को प्राप्त हुआ जिसमें 17,820 रूपए शु़द्ध आमदनी रहीं इस तरह 3 सदस्यी समूह को 4940 की आमदनी प्राप्त हुई। राधा रानी स्व सहायता समूह के द्वारा 2100 किलो ग्राम लौकी का उत्पादन किया गया जिसमें 16200 रूपए की लागत आई। सभी लौकियों को बाजार में बेचने पर 45,500 की आमदनी प्राप्त हुई जिसमें समूह का शुद्ध लाभान्ष 29,300 रूपए रहा। 3 सदस्यी समूह में प्रत्येक को 9767 रूपए का लाभ प्राप्त हुआ। महात्मा गांधी नरेगा योजना से कराये गये भूमि विकास कार्य एवं आंतरिक पहुंच मार्ग व तालाब की सहायता से समूह की महिलाओं को  आजीविका का नियमित साधन प्राप्त हुआ।
कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन में समूह की महिलाओं ने जिले के अधिकांश कोरंटाइन सेंटरों में सब्जीयों की आपूर्ति की साथ ही कवर्धा शहर के सब्जी मंडी में विक्रय किया। सभी 5 समूहों को मिलाकर कुल 2,36,376 रूपए का व्यवसाय किया गया जिसमें 1,63,876 रूपए समूह को शु़द्ध आमदनी हुई जो वर्तमान सीजन में भी जारी है। इस सीजन में महिला समूह द्वारा भींडी एवं ब्लैक राइस की खेती किया जा रहा है। ब्लैक राइस मधूमेह रोगियों के लिए लाभ प्रद है इस कारण इस चावल का उत्पादन में महिलाएं लगी हुई है ताकि क्षेत्र की जनता को लाभ मिल सके और व्यवसायिक गतिविधियां भी चलता रहें।

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