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खास बात यह है कि बड़े बाबू राउतकर ने जनपद में जिन पदों पर अपने भतीजे व चार अन्य लोगों का संविलियन किया है, वह पद शासन से ही स्वीकृत ही नहीं है। जांच में फर्जीवाड़े की बात उजागर होते ही कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने नरेंद्र राउतकर को सस्पेंड कर दिया है। यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान किया गया। भ्रष्टाचार की आंच जनपद पंचायत के पूर्व सीईओ, जपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भी आ रही है। हालांकि जनपद अध्यक्ष अमिता मरकाम ने कहा है कि जिस समय हस्ताक्षर हुआ था उस समय मैं मौजूद ही नहीं थी।भतीजे की सरकारी नौकरी लगाना था मकसद, 4 अन्य को इसलिए रेगुलर कियायह पूरा फर्जीवाड़ा सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर ने अपने भतीजे सौरभ टेंभुरकर को सरकारी नौकरी लगाने के लिए किया। विरोध न हो, इसलिए शेष चार दैनिक वेतनभोगियों संजय धर्मी, इमरान खान, मुकेश चंद्रवंशी और चंद्रकांता मानिकपुरी को अनियमित से नियमित (रेगुलर) कर दिया। बता दें कि चार में से 3 लोग करीब 5 साल से बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे थे। वहीं, एक अन्य महिला अनियमित कर्मचारी 10 साल से काम पर थी। मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम बनाई गई। टीम में पंचायत उपसंचालक राज तिवारी, लेखा अधिकारी श्री जायसवाल और सहायक परियोजना अधिकारी (एपीओ) बलभद्र शामिल रहे। जांच में पाया गया कि मामला कोरोना काल वर्ष 2020 का है। सामान्य सभा के नियमितीकरण के प्रस्ताव पर जनपद सीईओ जेआर भगत, अध्यक्ष अमिता मरकाम, उपाध्यक्ष सनत जायसवाल और सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर के हस्ताक्षर थे, जबकि नियमत: 25 सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त प्रस्ताव होना था।मार्कशीट ही नहीं, फिर भी कर दिया नियमितीकरणपड़ताल से पता चला कि भृत्य पद के लिए अनिवार्य योग्यता 8वीं उत्तीर्ण होना था, लेकिन इनकी मार्कशीट नहीं होने के बाद भी संविलियन व नियमितीकरण कर दिया गया।उस समय के सीईओ की रिपोर्ट शासन को भेजी हैदोषी पाए गए राउतकर को सस्पेंड किया है। नियमितीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सीईओ जे आर भगत की रिपोर्ट शासन को भेज दी है।-रमेश कुमार शर्मा, कलेक्टर

खास बात खास बात यह खास बात यह है कि बड़े बाबू राउतकर ने जनपद में जिन पदों पर अपने भतीजे व चार अन्य लोगों का संविलियन किया है, वह पद शासन से ही स्वीकृत ही नहीं है। जांच में फर्जीवाड़े की बात उजागर होते ही कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने नरेंद्र राउतकर को सस्पेंड कर दिया है। यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान किया गया। भ्रष्टाचार की आंच जनपद पंचायत के पूर्व सीईओ, जपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भी आ रही है। हालांकि जनपद अध्यक्ष अमिता मरकाम ने कहा है कि जिस समय हस्ताक्षर हुआ था उस समय मैं मौजूद ही नहीं थी।

भतीजे की सरकारी नौकरी लगाना था मकसद, 4 अन्य को इसलिए रेगुलर किया
यह पूरा फर्जीवाड़ा सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर ने अपने भतीजे सौरभ टेंभुरकर को सरकारी नौकरी लगाने के लिए किया। विरोध न हो, इसलिए शेष चार दैनिक वेतनभोगियों संजय धर्मी, इमरान खान, मुकेश चंद्रवंशी और चंद्रकांता मानिकपुरी को अनियमित से नियमित (रेगुलर) कर दिया। बता दें कि चार में से 3 लोग करीब 5 साल से बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे थे। वहीं, एक अन्य महिला अनियमित कर्मचारी 10 साल से काम पर थी। मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम बनाई गई। टीम में पंचायत उपसंचालक राज तिवारी, लेखा अधिकारी श्री जायसवाल और सहायक परियोजना अधिकारी (एपीओ) बलभद्र शामिल रहे। जांच में पाया गया कि मामला कोरोना काल वर्ष 2020 का है। सामान्य सभा के नियमितीकरण के प्रस्ताव पर जनपद सीईओ जेआर भगत, अध्यक्ष अमिता मरकाम, उपाध्यक्ष सनत जायसवाल और सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर के हस्ताक्षर थे, जबकि नियमत: 25 सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त प्रस्ताव होना था।

मार्कशीट ही नहीं, फिर भी कर दिया नियमितीकरण
पड़ताल से पता चला कि भृत्य पद के लिए अनिवार्य योग्यता 8वीं उत्तीर्ण होना था, लेकिन इनकी मार्कशीट नहीं होने के बाद भी संविलियन व नियमितीकरण कर दिया गया।

उस समय के सीईओ की रिपोर्ट शासन को भेजी है
दोषी पाए गए राउतकर को सस्पेंड किया है। नियमितीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सीईओ जे आर भगत की रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

-रमेश कुमार शर्मा, कलेक्टर कि बड़े बाबू राउतकर ने जनपद में जिन पदों पर अपने भतीजे व चार अन्य लोगों का संविलियन किया है, वह पद शासन से ही स्वीकृत ही नहीं है। जांच में फर्जीवाड़े की बात उजागर होते ही कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने नरेंद्र राउतकर को सस्पेंड कर दिया है। यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान किया गया। भ्रष्टाचार की आंच जनपद पंचायत के पूर्व सीईओ, जपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भी आ रही है। हालांकि जनपद अध्यक्ष अमिता मरकाम ने कहा है कि जिस समय हस्ताक्षर हुआ था उस समय मैं मौजूद ही नहीं थी।

भतीजे की सरकारी नौकरी लगाना था मकसद, 4 अन्य को इसलिए रेगुलर किया
यह पूरा फर्जीवाड़ा सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर ने अपने भतीजे सौरभ टेंभुरकर को सरकारी नौकरी लगाने के लिए किया। विरोध न हो, इसलिए शेष चार दैनिक वेतनभोगियों संजय धर्मी, इमरान खान, मुकेश चंद्रवंशी और चंद्रकांता मानिकपुरी को अनियमित से नियमित (रेगुलर) कर दिया। बता दें कि चार में से 3 लोग करीब 5 साल से बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे थे। वहीं, एक अन्य महिला अनियमित कर्मचारी 10 साल से काम पर थी। मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम बनाई गई। टीम में पंचायत उपसंचालक राज तिवारी, लेखा अधिकारी श्री जायसवाल और सहायक परियोजना अधिकारी (एपीओ) बलभद्र शामिल रहे। जांच में पाया गया कि मामला कोरोना काल वर्ष 2020 का है। सामान्य सभा के नियमितीकरण के प्रस्ताव पर जनपद सीईओ जेआर भगत, अध्यक्ष अमिता मरकाम, उपाध्यक्ष सनत जायसवाल और सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर के हस्ताक्षर थे, जबकि नियमत: 25 सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त प्रस्ताव होना था।

मार्कशीट ही नहीं, फिर भी कर दिया नियमितीकरण
पड़ताल से पता चला कि भृत्य पद के लिए अनिवार्य योग्यता 8वीं उत्तीर्ण होना था, लेकिन इनकी मार्कशीट नहीं होने के बाद भी संविलियन व नियमितीकरण कर दिया गया।

उस समय के सीईओ की रिपोर्ट शासन को भेजी है
दोषी पाए गए राउतकर को सस्पेंड किया है। नियमितीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सीईओ जे आर भगत की रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

-रमेश कुमार शर्मा, कलेक्टर है कि बड़े बाबू राउतकर ने जनपद में जिन पदों पर अपने भतीजे व चार अन्य लोगों का संविलियन किया है, वह पद शासन से ही स्वीकृत ही नहीं है। जांच में फर्जीवाड़े की बात उजागर होते ही कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने नरेंद्र राउतकर को सस्पेंड कर दिया है। यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान किया गया। भ्रष्टाचार की आंच जनपद पंचायत के पूर्व सीईओ, जपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भी आ रही है। हालांकि जनपद अध्यक्ष अमिता मरकाम ने कहा है कि जिस समय हस्ताक्षर हुआ था उस समय मैं मौजूद ही नहीं थी।

भतीजे की सरकारी नौकरी लगाना था मकसद, 4 अन्य को इसलिए रेगुलर किया
यह पूरा फर्जीवाड़ा सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर ने अपने भतीजे सौरभ टेंभुरकर को सरकारी नौकरी लगाने के लिए किया। विरोध न हो, इसलिए शेष चार दैनिक वेतनभोगियों संजय धर्मी, इमरान खान, मुकेश चंद्रवंशी और चंद्रकांता मानिकपुरी को अनियमित से नियमित (रेगुलर) कर दिया। बता दें कि चार में से 3 लोग करीब 5 साल से बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे थे। वहीं, एक अन्य महिला अनियमित कर्मचारी 10 साल से काम पर थी। मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम बनाई गई। टीम में पंचायत उपसंचालक राज तिवारी, लेखा अधिकारी श्री जायसवाल और सहायक परियोजना अधिकारी (एपीओ) बलभद्र शामिल रहे। जांच में पाया गया कि मामला कोरोना काल वर्ष 2020 का है। सामान्य सभा के नियमितीकरण के प्रस्ताव पर जनपद सीईओ जेआर भगत, अध्यक्ष अमिता मरकाम, उपाध्यक्ष सनत जायसवाल और सहायक ग्रेड- 2 नरेन्द्र कुमार राउतकर के हस्ताक्षर थे, जबकि नियमत: 25 सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त प्रस्ताव होना था।

मार्कशीट ही नहीं, फिर भी कर दिया नियमितीकरण
पड़ताल से पता चला कि भृत्य पद के लिए अनिवार्य योग्यता 8वीं उत्तीर्ण होना था, लेकिन इनकी मार्कशीट नहीं होने के बाद भी संविलियन व नियमितीकरण कर दिया गया।

उस समय के सीईओ की रिपोर्ट शासन को भेजी है
दोषी पाए गए राउतकर को सस्पेंड किया है। नियमितीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सीईओ जे आर भगत की रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
-रमेश कुमार शर्मा, कलेक्टर

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