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कृषि विज्ञान केन्द्र में सेवारत कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण




 कृषि विज्ञान केन्द्र में सेवारत कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण


कवर्धा, 14 अगस्त 2025। कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषि विभाग के सेवारत अधिकारियों, कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी. पी. त्रिपाठी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, द्वारा केन्द्र की गतिविधियों एवं उद्देश्य की विस्तृत जानकारी प्रशिक्षणार्थियों को दी गई। 

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य खरीफ फसलों में समन्वित पौध प्रबंधन एवं वैज्ञानिक विधि द्वारा कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करना है। धान की बीमारी के लिए उपयोगी सलाह धान में झुलसा बिमारी के लक्षण यदि आंख या नाव आकार के दिखते है तो किसान भाई पोटाश 10 किलो प्रति एकड़ एवं ट्राइसाइक्लाजोल 120 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें एवं धान में जीवाणु जनित झुलसा रोग जैसे पत्ती ऊपर से नीचे की तरफ अगर ट आकार की या किनारे सुखती है तो किसान स्टेप्टोसाइक्लीन 12 ग्राम एवं मैनकोजेब 250 ग्राम का छिड़काव करें साथ ही भूरा धब्बा के लक्षण दिखने पर मैन्कोजेब 250 ग्राम अथवा ट्राइसाइक्लाजोल 120 ग्राम का छिड़काव करें। 

कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र  कवर्धा के सहायक प्राध्यापक डॉ. श्याम सिंह ने धान में लगने वाली प्रमुख रोगो के बारे में विस्तार से चर्चा कर उसका नियंत्रण बताया। सहायक प्राध्यापक डॉ. निवेदिता कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा खरीफ फसलों में लगने वाले प्रमुख कींटो द्वारा होने वाले नुकसान से अवगत कराया एवं उसके नियंत्रण उपाय के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। इसके साथ ही सोयाबीन, अरहर, उड़द, मूंग, गन्ने मे लगने वाले प्रमुख कीट व्याधि की जानकारी सभी को दी गई। इसी तारतम्य में कृषि विज्ञान केन्द्र के विषय वस्तु विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न विषयों जैसे खरीफ फसलों में खरपतवार, जल, उर्वरक प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य एवं जैविक खेती, उद्यानिकी फसलों की उत्पादन तकनीक, प्रक्षेत्र योजना एवं प्रक्षेत्र अभिलेख तथा पशुओं में होने वाले संक्रामक रोग एवं उसका निदान, प्रमुख कृषि यंत्रों की विस्तृत जानकारी श्रव्य एवं दृष्य माध्यम से प्रदान की गई। कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा प्रक्षेत्र फार्म पर बीजोत्पादन कार्यक्रम के तहत चैड़ी क्यारी एवं मांदा विधि द्वारा सोयाबीन का अवलोकन, औषधीय रोपणी का प्रदर्शन एवं क्राप कैफेटेरिया में धान की छत्तीसगढ़, सोयाबीन की आठ, मूंग की एक, उड़द की एक, मुर्गी पालन इकाई, पशुधन उत्पादन इकाई एवं मछली सह बत्तख पालन का अवलोकन, विभिन्न प्रशिक्षणार्थियों द्वारा अलग-अलग दिवस में किया गया, जिससे वे अपने क्षेत्र में प्रचार प्रसार कर सके। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, बी.टी.एम एवं ए.टी.एम. सहित प्रतिभागी उपस्थित थे।

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