कवर्धा परियोजना अधिकारी को दौरा से परहेज , कार्यालय में गुजरती समय ,जिम्मेदारी से भागती
0 दो वर्षों में मात्र 36 आंगनबाड़ी पहुची
कवर्धा - एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी कवर्धा के द्वारा 2 वर्ष में केवल कार्यालय में बैठकर अपने दायित्वों का निर्वहन करती रही जबकि उनके द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण व जांच पड़ताल किया जाना चाहिए जहाँ शासन द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन भी केंद्र में जाकर किए जाने हेतु निर्देशित किया जाना चाहिए । दो वर्षों में कवर्धा के परियोजना के अलावा अतिरिक्त प्रभार सहसपुर लोहारा व चिल्फी घाटी परियोजनाओं का भी लेकिन उन्होंने वहां भी नहीं गया ।
जारी नोटिस का नही मिलता जवाब
एकीकृत बाल विकास परियोजना कवर्धा ने 10 सेक्टर है जिसमे सेक्टर पर्यवेक्षक के द्वारा रेडी टू इट फूड निर्माता व वितरण समूह के संचालक को 4 नोटिस जारी किया गया जिसमें कृष्णा स्व सहायता समूह रेंगाखार खुर्द व जय सरस्वती स्व सहायता समूह घुकसा भी शामिल है जारी नोटिस का जवाब कृष्णा स्व सहायता समूह के द्वारा एक ही बार दिया गया है वही परियोजना अधिकारी के द्वारा सात नोटिस जारी किया गया है जिसमें से मात्र एक नोटिस जवाब आया है बाकी 6 नोटिस का जवाब समूह के द्वारा नहीं दिया गया है जिससे साबित होता है कि परियोजना अधिकारी के द्वारा जारी नोटिस को समूह के लोग नजरअंदाज करते हुए जवाब देना उचित नही समझते । परियोजना अधिकारी अपने कार्यों का निर्वहन करने में कितने सक्षम किसी भी तरीके से नही आते है ।
आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने में परहेज
एकीकृत बाल विकास परियोजना कवर्धा के परियोजना अधिकारी के द्वारा 2 वर्षों में मात्र 36 आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया गया है जिसमें एक ही दिन में 5 आंगनबाड़ी केंद्र चिल्फ़ी परियोजना भी शामिल है वही सहसपुर लोहारा के एक भी आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण परियोजना अधिकारी के द्वारा नहीं किया गया है जिससे साबित होता है कि परियोजना अधिकारी आंगनबाड़ी में अध्ययनरत बच्चों ,गर्भवती -शिशुवती माताओं व किशोरी बालिकाओं के सेहत के प्रति कितने गंभीर है , हालांकि उक्त अवधि में कोविड19 के चलते केंद्र बन्द था लेकिन रेडी टू इट फूड वितरण यथावत था ।
रेडी टू इट फूड निर्माता समूहों पर नियंत्रण नही
एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी कवर्धा के अग्रिम व वास्तविक दौरा का सूचना के अधिकार अधिनियम के द्वारा प्राप्त जानकारी के दस्तावेजों के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि रेडी टू ईट फूड निर्माण व वितरण करने वाले महिला स्व सहायता समूहों निरीक्षण नहीं के बराबर किया गया है दो वर्षों में मात्र 10 समूह में कुल 14 दिन ही निरीक्षण किया है साथ ही अतरिक्त प्रभार वाले परियोजना चिल्फ़ी व सहसपुर लोहारा के एक भी यूनिट का निरीक्षण अपने प्रभार के दौरान एक बार भी नहीं गया जबकि उक्त अवधि में कोविड-19 में समस्त आंगनबाड़ी केंद्र बंद था लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा हितग्राहियों के घर में जाकर रेडी टू ईट वितरण किया जा रहा था वही सरकार की सभी योजनाओं का क्रियान्वयन हितग्राहियों के घर पहुच कर किया जा रहा था ।
कभी नहीं पहुंची लोहरा परियोजना कार्यालय
कवर्धा परियोजना अधिकारी के द्वारा सहसपुर लोहारा परियोजना अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार में लगभग 8-9 माह रही लेकिन एकदीन भी वहां कार्यालय में जाकर कोई भी फाइल नही निपटाए न ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से प्रत्यक्ष रूप से मिल पाई ना ही एक भी आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया , वहीं चिल्फी में मात्र दो दिन दौरा किया बाकी समय कवर्धा कार्यालय व अन्य कार्यों में व्यस्त रहें । वास्तविक दौरा प्रपत्र में उक्त जानकारी स्वयं परियोजना अधिकारी ने भर कर कार्यालय में जमा किया है ।
दौरा के दौरान निरीक्षण टीप लिखने में कतराती
एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी कवर्धा के द्वारा अपने निरीक्षण के दौरान कहीं पर भी निरीक्षण टीप नहीं लिखती जिसका मुख्य नजर आता हैं कि वो डरपोक व कमजोर है , अपने दो वर्ष के कार्यकाल में मात्र दुल्लापुर रेडी टू ईट फूड समूह के निरीक्षण में सेक्टर सुपरवाइजर के द्वारा निरीक्षण टीप लिखी गई थी जिसमें परियोजना अधिकारी उपस्थित थी तब उनकी लिखी टीप में अपनी हस्ताक्षर किया है यदि परियोजना अधिकारी के द्वारा रेडी टू ईट यूनिट व आंगनबाड़ी केंद्रों में निरीक्षण के दौरान निरीक्षण पंजी में टीप लिखती तो उसका भी प्रमाणित प्रतिलिपि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदान की होती है ।
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