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आदिवासी अंचल में नवाचारों का बड़े पैमाने पर मिल रहा लाभ



मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के समग्र विकास के लिए आदिवासी अंचल में भी कई ऐसे नवाचार किए गए हैं, जिसका लाभ अब लोगों को बड़े तादाद में मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि इनमें मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के माध्यम से लोगों को बहुत बड़ी राहत दिलाई है। आज मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की सफलता की चर्चा चारों तरफ हो रही है। निश्चित तौर पर बस्तर को मलेरिया से बचाने की सोच और उस पर जिस तरह से अमल किया गया, उसे एक नवाचार ही माना जाएगा। हमारी सरकार बनने के बाद बस्तर संभाग के सातों जिलों में जब हमने सर्वेक्षण कराया तो पता चला कि मलेरिया प्रभावितों के बारे में बताने वाला वार्षिक परजीवी सूचकांक, जिसे एपीआई कहा जाता है, वह 10 से अधिक था, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। अभियान के तहत हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वे किया और एक-एक व्यक्ति की जांच की गई। निःशुल्क दवाएं दी गईं। घरों में मच्छररोधी दवाइयों का छिड़काव किया गया। मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटी गईं। इन प्रयासों के कारण एपीआई की दर लगातार कम हुई। बीते एक साल में पॉजिटीविटी दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.86 प्रतिशत पर आ गई। पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया की प्रभाव दर 45 प्रतिशत कम हो गई है। जिस तरह से युद्धस्तर पर काम हुआ उसकी सराहना नीति आयोग और यूएनडीपी ने की है तथा इसे देश के अन्य आकांक्षी जिलों के लिए भी अनुकरणीय बताया है। मैं यह भी बताना चाहता हूं कि ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ का भी इसमें बहुत सहयोग मिला, जो कि अपने आप में एक नवाचार था। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना से 11 लाख से अधिक लोगों का इलाज हुआ। इस तरह से मलेरिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान से सुपोषण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिला। मलेरियामुक्ति का अभियान महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका लाभ सुरक्षा बलों तथा सभी निवासियों को मिला है।

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